Tuesday, January 17, 2006

शेरो-शायरी

शेरो-शायरी

सोचा के खुद से ही मांग लू मै खुद को, पर तेरी याद ने रोक लिया..
अब खुद को रोकना चाहता हूं, तो तुने मुज़ से ही मांग ली मेरे तनहाई की हर धडकन.

अगर तुम्हे चाहत ही थी हर चीज़से जो प्यारी थी मुज़े, काश तुने खुदही को मुज़से मांगा होता.

केहेते है की जिन्दगी के हर मोड पे मुड जाते है लोग. मेरी मज़िंल उस रस्ते पै हैन जह कोइ मोड नही.

लोग भूला भी देते है यादों को दिल से,
मेरी हर याद मै मेर दिल है मेरा,
मै क्या मिटाऊ तेरी याद को,
खुद ही जो मिट्ता चला जा रहा हूं.

अब के तो सिर्फ़ याद ही है तेरी, और न कोइ गम जो मुज़े रुला सके
अब हम भी मानते है, कि कोइ नशा और भी होगा तेरे सिवा

तुज़ से आरज़ू कर के उसकि, बता ए खुद मैने क्या पाया
तब मुश्किल था बेहकना, आज मुश्किल सम्भलना हो गया,

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